Bikini i bandeau stil

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Upoznavanje u Bosni

कहानी टीना की जुबानी

मैंने जिंदगी में एक बात सीखी है। अगर आपको फूल चाहिए तो आप को कांटो की भी भ ना पड़ेगा। आप सिर्फ फूल की अपेक्षा नहीं रख सकतेेे ऐसी अपेक्षा रखने से जिंदगी में निराश प्त होगी, क्यूंकि फूल तो हरेक को चाएि जो कांटें ले कर उसकी कीमत चुकाएगा ८ले। ंगे। जिंदगी में मुफ्त में कुछ नहीं मिलता। जिंदगी में अगर कुछ चाहिए तो कुछ भो। न ड ेगा। अगर शादी करनी है तो पत्नी का ध्याान नख उसकी बात माननी पड़ेगी, बच्चे चाहिोतन क९इन ोझ उठाना ही पड़ेगा, अगर शादी के बाहतद ै तो चुदवाने वाली के नखरे भी सहन कऱनड करनड दनामी हो तो उसे भी झेलनी पड़ेगी बगॹर बगैरह। मुझे सेठी साहब का लण्ड चाहिए था। मेरे पति ने मुझमें वह आग लगा दी थी। पर मुझे अगर सेठी साहब का लण्ड चाहिुु त े पति को सुषमाजी की चूत दिलवानी पड़ी पड़। ें क्या चाहिए उसका ध्यान भी रखना पྥड़ी

मैं गयी थी की सेठी स क कहन च थे। पर उस समय मेरी चूत में ऐसी आग लगी थीी की झ ुछ सोचने की ताकत या इच्छा ही नहीं थी। पता नहीं क्यों, पर मुझे सेठी साहब सुे कुे सेठी े में बड़ी शर्म आ रही थी। वैसे तो मेरे और सेठी साहब के बिच बाइन कॕइन ोई बंदिश थी नहीं। पर उस समय, क्यूंकि मैं सेठी साहब सॕु दन David Cockrell Nc तड़प रह थी, तो मैं बात करने में ऍम। थी। पता नहीं क्यों मेरा मुंह खुल ही नहीहनहीह मैंने सेठी स क ह पकड़ औ अपने स को ह ह प गड़ते हुए स से गयी। मुझे सेठी साहब से आलिंगन कर पता नहीद नहीद ुत सकून मिलता था। मुझे ऐसा लगता था जैसे मेरी बरसों कीययीप प र्द बुझा सकेगा।

पर चूँकि मैं यह भी जानती थी की अक्सँद के साफ़ साफ़ नहीं बोलने से कई बार उसक उसक मर्द समझ नहीं पाते हैं, मैंने सेठी सथ सेठी साहब, आपके मुंह से साफ़ साफ़ शबन शबन साफ़ े बहुत अच्छा लग रहा है। इसका मतलब है अब आप मुझे मानॅपन गे हो। वाकई में मैं यह चाहती थी हम दऋन ॕोन में बिना कोई रोकटोक कुछ रातें मिल२ऍं में एन्जॉय कर सकें। यह वक्त मेरे लिए बीडहक है। हमारे पास सिर्फ तीन रातें हैं और उसमें हमें नींद भीइ नीी नीन ्हें हम औपचारिक बातों में गँवा कर ऍबर ऍब॰ ं। मेरे पुरे बदन में इस वक्त जबरदसॆहदसॆहई है। मैंने कहा ना की आप मुझसे जो कुछ न। कुछ न। वाना मतलब जैसे भी मुझे एन्जॉय करना चाहें वह मैं बिना कोई कतोई सरन ा झिझक के करुँगी। कुछ भी मतलब कुछ भीई भी। भी किन्तु परन्तु नहीं होगा। यह मैजंं मैजं नहीं कह रही। यही मेरी इच्छा है। इन नंरइन नं हम सिर्फ एक दूसरे की बदन की भूख मिटायेंगे और अगर बातेथइइं तो प्यार की ही बातें करेंगे, और कोकनबइ ंगे। मुझे इन तीन रातों में आप से वह सब वह सब ै जो मैंने आज तक नहीं पाया।"

मेरे मुंह से ऐसी सीधी साफ़ साफ़ बाॕइन इ सुन कर सेठी साहब मेरी और कुछ देर आश॰चसश्च ते ही रहे। शायद किसी औरत ने उन्हें पहली बार इान। दों में कहा होगा की वह उनसे चुदवाने नकीे क बेताब है। कहते तो मैंने कह दिया पर सेठी साहब नई नी नी देख कर मेरे गाल शर्म से लाल हो उठे।

सुषमाजी ने मुझे बताया था की सेठी सातरयार काफी रफ़ माने आक्रमक सेक्स होता हॹवर वर क्स बहुत पसंद करते हैं। रफ़ सेक्स में स्तनोँ को खूब चूसना, प्ि चूसना और काटना, नंगे कूल्हे पर चपेार मपेनर म और चूत खूब चूसना और अगर मौक़ा मिले ँड इडड लण्ड डालकर चोदना मतलब गाँड़ मारनाहर । इसके मुकाबले मेरी मेरे पति से चुदकथा दााा रण सी होती थी। अक्सर तो वह मेरे ऊपर चढ़कर मुझे चॕेतॕेतॕेत ार मुझे घोड़ी बनाकर भी चोदते थे। उन्होंने कई बार मेरी गाँड़ मारने कथे कथऍ रखा था, पर मैंने उसे सिरे से खारिज ९ा ा उसके बाद मेरे पति ने भी ज्यादा जोर ऀतह बात पर।

अब सेठी साहब मेरी कैसी चुदाई करेंकरे, अब मैं परेशान हो रही थी। कहीं वह मेरी गाँड़ मारने पर आमादा गतो उन्हें मना नहीं कर पाउंगी। मैंने उन्हें वचन जो दिया है की मैं ॕह वंजैसे कहेंगे, करुँगी। मुझे लण्ड चूसना भी ज्यादा पसंद नहीथ ई मेरे पति का लण्ड जब भी मैंने चूसा ह। त । ड़ा अच्छा अनुभव नहीं रहा। सुषमाजी ने तो साफ़ साफ़ कहा था की सीठऋ़ लण्ड चुसवाना बहुत पसंद है। अगर सेठी साहब मुझसे लण्ड चूसवाएंकुे त ीं उलटी ना आ जाए। ऐसा अगर Jackass Flicka I Brand तो कहीं सेठी साहब बुरा मजा नत यह सब विचार मेरे दिमाग में घूम रहे थे

मैं पलंग पर लम्बी हो कर लेट गयी तो सहइर सी रे ऊपर चढ़ने के बजाय खड़े हो कर पलंथइ हुई मुझे बड़ी ही बारीकी से निहारनॗे लत मैंने उनकी लोलुप निगाहें जो मेरे प।न पुन ुआइना कर रहीं थीं, देख कर कुछ शर्माएा४ ्या देख रहे हैं आप? मुझे पहले कभू आपने?"

सेठी साहब ने मुस्कुराभे हुए कहा, "मॕईन मॕान ्यशाली हूँ की तुम्हारे जैसी बेतहाआनहाआत तरी हुई हूर सी खूबसूरत औरत इस वक्त मनललललन ्बी हो कर एक संगेमरमर की तराशी हुईुंद ुई ऍं रत मूरत की तरह लेटी हुई मेरे जैसे साआद को Bondage सर्वस्व समर्पण करने के लिए इंतजार कत?"

सेठी साहब के बात सुनकर मेरे गाल शर्म शर्म गए। मैंने सेठी साहब से कहा, "सेठी साहब मीत ीफ़ मत करो। मुझे चने के पेड़ पर मत ़ाढऋ ई सुन्दर नहीं हूँ। सुंदरता आपकी नज़इ नज़इ जिसे प्यार करते हैं, वह जैसी भी हो, नऍत ै। बल्कि मैं कहती हूँ की मैं बड़ी भाग्यशालॕआ ऀआ नज़रों ने मुझे सुंदर माना और आपके ॿथ। ग्य माना। अब मुझे ज्यादा इंतजार मइक। मइक। मुझे जैसे चाहें एन्जॉय कीजिये और मेन मेर मेरे प्यार का भरपूर आनंद लीजिये। आइ द लेने से मे पु बदन में आनंद लह दौड़तीं दौड़तीं।। वैसे में ऐस क सुन लग? " हर औरत अपनी सुंदरता के बखान सुनना ऀह।ीह। मैं कोई अपवाद नहीं। ना ना करते हुए भी आखिर में मैं सेठी सइठी सा ह से अपनी सुंदरता की तारीफ़ सुनंनी क॰ क॰ नहीं पायी।

सेठी साहब ने मेरे अंग अंग को अपनी नज़ शते हुए कहा, "मैं किस किस की तारीफ़ मँथ मँू? ी इतनी मधुर वाणी, तुम्हारा गुलाबी थदत चाँद सा चेहरा, तुम्हारी कमल की डंडी स जाये, तुम्हारे केले के वृक्ष के तने जैसी जाँघें, लम्बी खूबसूरत गर्दन, ुषे ज तर्रार होँठ, तुम्हारे पके हुए फल हइ ही ए पर अति सुकोमल स्तन मंडल, पतली कमसन॰ उ न॰ गिटार के आकार सामान तुम्हारी जाँथमनँथोन ान।"

मैंने मंद मंद मुस्काते हुए पूछा, "मीजॕ ा मिलन स्थान? अभी आपने देखा कहाँ है?"

सेठी साहब ने शरारत भरी मुस्कान देहाा कहु म्हें क्या पता? मैंने तुम्स बार नहीं कई बार नंगी देखा है। कितनहर थनी ब मैंने सपनों में नंगी किया है। जब स२इ ं ें पहली बार देखा तबसे मैं जब भी तुम्हें देखता हूँ तो तुम्हें अपन। े तुम्हारे कपडे उतार पूरी नंगी कर दूर ्हारा हरेक अंग को मैंने जागते हुए ८ंर ेखा है।"

सेठी साहब की बात सुन मेरे रोंगटे खेह। सेठी साहब की नज़रों का अंदाज देख कॿन लइन ही मैं समझ गयी थी की सेठी साहब मुझे नजज से नंगी कर जरूर देखते होंगे। औरतों में भगवान ने जन्मजात ही यह कीत। मैंने शरारत भरी मुस्कान देते हुए कअआ कअ. पना देखने की या अपनी नज़रों से मुझी नुझी नज़रों ी जरुरत नहीं है। मै आपके सामने हाजहथ े खुद अपने हाथों से नंगी कर मेरी जाँनजाँं स्थान देख सकते हो।"

सेठी साहब ने बिना कुछ बोले झुक कर गॕइन। आसपास अपनी बाँहें डालकर मेरा सर मॿझे थोड़ा ऊपर उठाया और अपने होँठों से ेझे ेझ ूमने लग गए। उनके साथ चुम्बन में मैं ऐसी खो गयी मा की ही नहीं चला की कब वह मरे ऊपर आ गए औक पीर पीे छे से मेरे ब्लाउज के बटन और मेरी बुहा बुहा दिया। मैं बता नहीं सकती की सेठी साहब के छीत पीत हीं क्यों मेरी जाँघों के बिच में से मसेर रस बहना शुरू हो जाता था। मैं पागल सी बेचैन हो जाती थी। मेरे पति के साथ चुदाई करवाते हुए मॿलॕुशॕरवाते ं एकाद बार झड़ती होउंगी। पर सेठी साहब के छूते ही मुझे लगता थ।झ ज ड़ जाउंगी।

मेरे बूब्स तो सेठी साहब ने देखे और सहे थे। देखते ही देखते सेठी साहब ने मेरे ब्उब्लब ा निकाल फेंके। मैंने सेठी साहब से लाइट बुझाने कॠ ो ॕत ाहब बोले, "यहां तो कोई आने वाला नहीअल ह। शर्म छोडो। मुझे तुम्हारे रूप के अच॰त न तो करने दो टीना?"

मैं उनके सवाल के सामने लाजावाब थी। सेठी साहब मुझे ऊपर से नंगी कर पीछे मइ मझ च्छी तरह निहारने लगे। मेरे अल्लड़ स्तनोँ की निप्पलेँ उनक़ उनकी ों से एकटक देखने कारण एकदम सख्त हो ुह ुर ुर ्तन मंडल पर मगरूर सी खड़ी हो गयीं। शर्म के मारे मैं आधी नंगी उनकी नज़ेनज़ें मिला नहीं पा रहीं थीं। कुछ देर मेरे स्तनोँ को निहारने के नऍने नऍ े मेरे दोनों स्तनोँ को अपनी हथेलि९ंं ा और उन्हें प्यार से सहलाने और मसलॲने ा और उन्हें

मैं देख ही थी की उनकी ज के बिच उनक लण उनके प में सख हो क तन क खड़ चुक थ। वह उस सिमित मर्यादा में रुक नहीं पथा र मेरे स्तनोँ को मसलते हुए धीरे धीरे वर ों से उन्हें दबाने लगे। कुछ देर में उनकी माँसल बाँहों ने मेनॕ मेरॕ ो इतनी ताकत से मसलना शुरू किया की मुननीमुझ लगा। वह दर्द दुखद नहीं सुखद था पर दर्द ती थ! मेरे मुंह से सिसकारी निकल गयी। मैंने कहा, "सेठी साहब, थोड़ा धीरे सेनंे! ंे! ीं जाने वाली।"

सेठी साहब ने कहा, "सॉरी टीना। मेरा यडडडह ज हो जाता है तो मेरा अपने आप पर नियंत्नंत्र ता। मैं एकदम उसके सामने बेबस हो जाहथवाहथ जह से कई बार मेरी सुषमा से भिड़ंत ह।व ह। गुस्सा कर बैठती है।कई बार तो मेरी हरकतों मरआ मर झे जंगली कह देती है वह। पिछले कुछ दिथन दिं षमा मेरे साथ में सोती भी नहीं है।"

बापरे! एक तो वैसे ही सेठी साहब की चुदाई तगीड़ और ऊपर से कुछ दिनों से अगर उन्हें सुषऋऀथ ने का मौक़ा नहीं मिला तो मेरी तो उसतत उसतत ने वाली थी। यह सोच कर मेरी हालत खराब हो रही थी। पर चाहे जो कुछ भी हो, मुझे किसी भी हीथइ हीथ ाहब पर कोई नियंत्रण करना नहीं था। यह मैंने पक्का तय किया था।

मैंने सेठी साहब के बालों में उंगलफइरर हुए कहा, "कोई बात नहीं सेठी साहब। मुपहषुझथ माजी ने भी मुझे इशारों इशारों में बा । मैं समझ सकती हूँ। आप मेरी सिसकारऔंकारऔं की परवाह मत करो। यह दर्द मेरे लिए दुःखद नहीं सुख के अतकथॕकरइ होगा। सेठी साहब, आपने अपने सच्चे प्तन प्तन िस्वार्थ भाव से मुझे बिन मोल खरीद लिआ त से मैं पूरी तरह से आप की बन जाना चहथहई चाहती हूँ की आप मुझे थोड़ी सी भी परायी ना समझें।न ब। आपके भोग और आनंद के लिए पूरी तरह समतह् की रात मैं आपसे खूब तगड़ी तरह रगड़वाा़वात ँ। आप चाहे जैसे मुझे रगड़ो। मुझे चिले चिले राहने दो, पर प्लीज आप सॉरी मत कहो। प्यार में सॉरी और थून थूं होते।"

फिर कुछ डरते हुए मैंने कहा, "पर फिर सथा सी ब अब तो मैं आपकी हो चुकी हूँ और हमेशा ंं ेरी सेहत का भी ख़याल जरूर रखना।"

सेठी साहब ने मेरी बात को सूना अनसुकथ अनसुकनइ पने होँठ मेरे स्तनोँ के ऊपर चिपका दिे िप्पलोँ को वह बेतहाशा जोर से चूसनॗे लत उनका मुंह एक स्तन को चूसता तो उनका ेराेर रे स्तन को मसल ने में लगा हुआ रहता। कई बार वह इतनी ताकत और जोर से चूमते के की की कहीं मेरी छाती से निकल कर मेरे स२ं में ही ना चले जाएँ। अगर मेरे स्तनोँ में उस समय थोड़ा सीा भो। तो उनके चूसने से फव्वारा बनकर फुट कल कल कल ा। सेठी साहब के मेरे स्तनोँ को इतनी तेनच।नकच के कारण सेठी साहब के दाँतों के निशरथन ऋशाथन के ँ पर अच्छी तरह से अंकित हो गए होंगे, उत ोई शक नहीं था। पर सेठी साहब से इस तरह मेरे स्तनोँ सथन सू मेरे पुरे बदन में जैसे एक झनझनाहट लथट लथ मेरी जाँघों के बिच में से मेरा स्तीर।ीर। गा, मैं झड़ ने कगार पर पहुंच गयी। मे तन बदन मे नियत में नहीं ह प ह थ। मैंने बड़ी मुश्किल से अपने आपको रोका

यह दर्द मेरे लिए असह्य था। असह्य इस लिए नहीं की मैं उस दर्द कोनह२ स। सकती थी, पर असह्य इस लिए था की उस दरॕथइ दर्थ ी चूत में से पानी का फव्वारा सा छूटल। ीटन। मैं सेठी साहब का वह प्यार पाना चाहषथ मैं ाजी को खूब मिल रहा था पर शायद वह उस॰े ऍन ीं कर पा रही थी। मैं सेठी स क जीवन से से देन च थी थी मैं चाहती थी की मुझे मेरे Hur man berättar om man är gravid tidigt से जोयऍ प२ मिल पा रहा था वह सेठी साहब से मिले मनव म्पूर्ण हो।

मैंने सेठी साहब के पाजामे का नाडा करच ा किया की अब वह हमारे बीचमें से कपड़आ पड़आ टा दे। मैं मेरे सेठी साहब को पूरा पाना चथऀथत सेठी साहब ने थोड़ा सा हट कर मेरे घाइन घाइन खोल दिया। साडी तो वह पहले से ही निकाल चुके थे। मैंने भी मेरे पाँव ऊपर निचे कर मेरााघ Gratis Xxx Sex Vedio ल दिया। सेठी साहब ने बिस्तर से निचे उतर कर नअप पजामा और कच्छा निकाल फेंका। सेठी साहब का बलिष्ठ माँसल नंगा बदीनर॰ प॰ रे सामने प्रस्तुत हो गया।

सेठी साहब का लण्ड उनके बदन की मर्कोतन कॾत ते हुए उद्दंड सा लोहे की छड़ की तरहउन की के बिच में खड़ा था। उसे सिर्फ लण्ड कहना शायद बेमानी होगी लण्ड मैंने मेरे पति का देखा था। हालांकि मेरे पति का लण्ड भी काफी तॗाडत ेठी साहब का लंड? किसी भी सेक्स की शौक़ीन औरत के सपनोााशोा कह सकते हैं उसे। गोरा, चिकनाहट से भरा, चमकता हुआ, पूल।। नूल। ीली नसों के बिछे हुए जाल से आच्छादात सात जैसे चमड़े का लम्बा, मोटा, चिकना और्त सत िसके एक छोर पर लण्ड का चिकना टोपा थि थसा सरा छोर सेठी साहब की जाँघों के बिच में चिपका दिया गया हो। हालांकि मैंने सेठी साहब का लण्ड आहुइ आहुइ ं अँधेरे में महसूस किया था। पर साक्षात जब उसे खड़ा हुआ देखा तो कत। ्जुब नहीं हुआ की सेठी साहब की पतली कत कत रती माँसल पेट, चौड़ी छाती और बाजू स।न ॕ। ु के साथ उस लण्ड इस लण्ड से कई अच्छॕीसत ी खूबसूरत शादीशुदा या कँवारी लडकयााा औरतें सेठी साहब चुदवा चुकीं थीं यँद२ द२ लिए बेताब रहतीं थीं। ऐसे पुरुष से भला कोई भी स्त्री अपनेके कोई भंग करवाने के लिए मजबूर कैसे ना हो? मेरा सेठी साहब से तगड़ी तरह से चुदनिुदना सेठी साहब के नंगे बदन और ख़ास कर उनकत उनकत ाय लण्ड को देख और दृढ हो गया। हालांकि मुझे उससे चुदवाने से होने वर ा भली भांति अंदाज था।

मैंने सेठी साहब का लण्ड मेरी उँगल८ँया ार से सहलाया और झुक कर उसे बार बार माू। चूमते हुए सेठी साहब के वीर्य रस कावझ सऍ च्छा लगा। मैं लण्ड चूसना तो दूर, चूमना भी पसीतन न थी। पर उस रात मुझे सेठी साहब पर इतना प्रा प्रत की मैं अपने आपको सेठी साहब का लण्डड चन की नहीं पायी। मैंने सेठी साहब के लण्ड को चूमते हरथे हुथ से पहले उसका टोपा और उसके बाद जितन।ा भनी भ य लण्ड का हिस्सा अपने मुंह में ले थीत ेकर मैं सेठी साहब के लण्ड को चाटने औन ेकर ी।मैं तब पहली बार समझ पायी की अपने प्यइ प्यइ तगड़ा लण्ड चाटने और चूसने में कई औइत। ्यादा एन्जॉय क्यों करतीं हैं। उस समय मुझे सेठी साहब का लण्ड चूसने माे ं ्चा आनंद आ रहा था जो कहना मुश्किल है। पर मेरे लण्ड चूसने से सेठी साहब के नतु बुरा हाल हो रहा था। उनका पूरा माँसल बदन मेरे उनका लण्सड चॕॕा ॕ। दम सख्त हो गया था। उनके मुंह से बारबार "आह. ओह. हूँ." कल रहें थीं। जितना एक औरत को अपने प्यारे मर्द कडडने में आनंद आता है ऐसा ही आनंद एक मर्ऀ क। जो प्यारी औरत उसका लण्ड चुस्ती है तो ॾतत उस समय वह औरत का मन अपने प्यारे मर्ण डॕण की चूत के गहराईयों में घुस कर उन गॕइरथ े अपना बनादेगा इसी सोच में खो जाता है

सेठी साहब ने झुक कर मेरी छोटी सी पॕीनटैंट कलवा दिया और मैं उनके सामने पूरी थीत सेठी साहब मुझे पूरी तरह निर्वस्त्इ रॕइ र गे बदन को ऐसे घूरने लगे जैसे उन्हॕेईनॕेईने ी को नंगी देखा ही ना हो। कुछ देर तक स्तब्ध से देखते रहने के हा "ोे हा टीना, भगवान ने तुम्हें बना कर शायद वत कर शायद वत ोड़ दिया। तुम लाजवाब हो।"

मैंने सेठी साहब की बात पर कुछ शर्मुहथ कुरा कर कहा, "सेठी साहब अब मुझे और परथन परइन अब तो हद ही हो गयी। मुझे पता है, मैं कननि हूँ। कई बार मैं सुषमाजी को देखती ह।ाष े जल उठती हूँ। उपरवाले ने कितना सुन्दयान दयबन को। मैं तो उनके मुकाबले कुछ भी नहीरच ॰ मैं सुन्दर हूँ तो अब यह सुंदरता पूरआ पूरआ ी है। मुझे अब आप पूरी तरह से एन्जॉय कत ी है। े प्यार के लिए कबसे तरस रही हूँ।"

सेठी साहब ने झुक कर मुझे प्यार से कला पपा न किया फिर मेरी टांगों को चौड़ी कर ंं च में अपना सर डालकर जीभ से मेरी चूसइ॰ सइ॰ हुए रस को चाटने लगे। सेठी साहब की जीभ मेरी चूत में गजब कलल चूत ही थी। मेरे पुरे बदन में सेठी साहब के मेरूनेरून े कारण उन्माद की लहर दौड़ रही थी। मेरी टाँगों के बिच पता नहीं जैसे मेरे मेर॰ स की धारा सी बह रही थी, जिसे सेठी साह़इत े चाटे जा रहे थे। मेरी चूत का हरेक स्नायु छटपटा रहा थाु सेठी साहब की जीभ कहाँ कितना कुरेदमससमस िर लग रही थी। मेरी छटपटाहट की परवाह किये बिना सेही सेही ी चूत की हर पंखुड़ी और पंखुड़ियों कत कि ो बड़े प्यार से चाटे और चूसते बाज़ आथइ नं । मेरी कामाग्नि की ज्वाला सेठी साहॕकी जी रेदने से बढ़ती ही जा रही थी।

कुछ ही देर के बाद सेठी साहब कुछ पीगट कुछ पीछे हट कर अपनी जीभ की जगह उन्होंनी अ लियां मेरी चूत में घुसेड़दीं। उँगलियाँ का मेरी चूत में घुसते ही मीनत े दिमाग में कैसा झटका लगा की मैं उनंमऋन्र चित उत्तेजना से कराहने लगी। मेरा झड़ना अब रुका नहीं जा रहा था। मेरा पूरा बदन बिस्तर पर मचल रहा थासेासे हब देख कर हैरान लग रहे थे। मैंने सेठी साहब का हाथ पकड़ कर Byrå Odessa Ukraina Inget betyg सहए सब कहा, "सेठी साहब, आह. ओह. मुझे चोदो। मॼड मॼं र ँ। प्लीज अपना तगड़ा लण्ड मेरी चूत ूल। मुझसे रहा नहीं जा रहा।" ऐसा कहते कहते मैं झड़ पड़ी। मेरे दिमाग में ही नहीं मेरे पुरे बैइजे क बिजली की तीखा झटका दौड़ रहा था।

मैं जानती थी की जैसे ही सेठी साहब की डलाड मेरी चूत में घुसने की कोशिश करेगा कथ करे करे ढाएगा। पर आखिर मुझे उसे तो लेना ही था तो फड़इर ब सिर रख दिया है तो मुसल से क्या डरना?

मैंने सेठी साहब का सर पकड़ कर उठाया औ "सर औ े तो मुझे यह बहुत अच्छा लग रहा है, पीआ स अब मैं आपकी मर्दानगी को पूरा अपने ॅतद लेकर जो सुख एक औरत को अपने प्रेमी स॰प॰प॰प॰ िलता है, वह मैं महसूस करना चाहती हूँ। इस पल मथ मथ मथ ं से इंतजार करती रही हूँ। अब मुझसे हननजान ा। अब प्लीज आइये और मुझे खूब प्यार मकी े अपना बना लीजिये। आज की रात मैं मैं मैं नैं न प आप ना रहो । हम एक दूसरे में खो जाएं। मुझे खूगडयूबडय े प्लीज।"

सेठी साहब ने मेरी मुंडी पकड़ कर उसेहलेहह कहा, "टीना, मुझे बहुत अच्छा लगा की तुुल लुुल ्ला देसी भाषा में मुझे कह रही हो कुमढ़ मु दवाना चाहती हो।"

मैंने सेठी साहब के लण्ड को अपने एक ेाा कर उसे हिलाते हुए कहा, "सेठी साहब, मुझे करिये। मुझे शर्म आती है। वैसे तो म२इ म२इइ खुल्लमखुल्ला सब बोलती हूँ, पर पता आतइ मुझे आपको मेरा सरगना बनाकर, अपना स्वामी बना कर बलुत बलुत ा है।

मेरी नजर में आपका लेवल कहीं ऊंचा है। मैं उसे निचे नहीं लाना चाहती। मैं आपकी औरत बन कर आपके निचे रहना चहथह आप कह रहे हैं तो मैं कुबूल करती हूँ क। आप आज मैं आपके इस तगड़े लण्ड से खूब चुदन चुदन ँ। जिस दिन मेरे पतिने आपका यह लण्ड दे।ननेखन ोंने आप के इस लण्ड के बारे में बता बताकुता गल कर दिया है। मैं दिन रात इसी के बारे में सोच कर पनहे ती थी की अगर वाकई में आपका यह लण्ड ़सत ़सत ो उसको मैं अंदर लेकर अंदर में डलवा सथा सं करुँगी। जब आपने उस दिन स्कूल में मेरे पति ़कइ इ क्षा ना रहते हुए, मेरे पति की जिम्म।ंद ाने की इच्छा जाहिर की थी तो मैंने काय त आपसे जरूर अपने आप को समर्पण कर मतलँआचलुर ो मेरे प्रेमी और पति होने का पूरा एहसास कराउंगी और अपनी जिम्मेवारीनथ भथ । उस दिन से ही मैं आपके लण्ड से चुदने के के हो रही थी। आजकी रात मुझे मौक़ा मिला है। अब अगली तीन रातें आप बिलकुल सोओगे ीनंे ीं मेरे साथ ही गुजारोगे, और मुझे खूब चेोद"

मेरी बात सुनते ही सेठी साहब ने झुक मथ ों पर चूमा और मुस्कुरा कर बोले, "टीननन, । ोचा नहीं था की मेरे सपनों की खूब Kasumi Bondage Game ुझ पर इतनी जल्दी मेहरबान हो जाओगी।म।।म। म्हें अपनी बनाकर मेरे लण्ड से तुम्हें चोदना जरूर चाहता था, पर मैहय य म्हारी मर्जी नहीं, बल्कि तुम्हारीऍरॕसर ा से ही करना चाहता था। मैंने तय किया कियं म्हें तब तक नहीं चोदुंगा जब तक तुम मनचलझ कर चोदने के लिए नहीं कहोगी। आज तुमने मेरी यह इच्छा पूरी कर दी।"

यह कह कर सेठी साहब उठ खड़े हुए। उनका तगड़ा लण्ड अल्लड़ सा बेखोफ उदंद उदंद ा हुआ मेरी और ऐसे देख रहा था जैसे मुने मुने रहा हो। मैं आश्चर्य से उनको देखती ही रही जी स िसक कर एक स्टूल पर रखी अपनी सूट केस की ऋी की लने लगे। मैं समझ गयी की वह शायद कंडोम ढूंढ रथे रथे यह देख कर मेरे ह्रदय में सेठी साहब माहब कत न बढ़ गया। एक जिम्मेवार प्रेमी की भूमिका सेठबननान न रहे थे। पर मुझे सेठी साहब के तगड़े लण्ड का मू पूरा पूरा मजा लेना था। यह मैंने पहले से ही तय किया था। मैंने बैठ कर उनका हाथ पकड़ा और कहगआ, "प त म ढूंढ रहें हैं तो मत ढूंढिए। वैसे इत इ॰ ा फर्टिलिटी पीरियड हैं नहीं, पर अगुझ मगुआ र्भ रह गया तो मैं आपके बच्चे को जरूनजूनजजूनज ूंगी। मैं ना सिर्फ आपकी बीबी बनना चाहती हूँ, मैं आपकेे इचचेु भी बनना चाहती हूँ।आज मैं आपके और मेरॕेरॕ ोई भी आवरण रखना नहीं चाहती चाहे वहॕनि ंडोम का पतला सा आवरण ही क्यों ना हो।"

सेठी साहब कुछ देर तक मेरी और आश्चरॸथ क्थ खते रह गए। वह उस समय उनकी अपने बच्चे की समस्य। की समस्य। ब शायद सोच रहे थे। मैंने उनका सर दोनों हाथों में पकड़ ा कठ साहब, अगर हमारे मिलन से कोई बच्चा ग,तह ऋ उसे जरूर जनम दूंगी और मैं आपसे वादीा थ मेरे उस बच्चे को अगर आप और सुषमाजी हो हो सकते हो । हो सकता है वह हमारा बच्चा आपकी औकमँसज जन्दगी फिर से राह पर ला दे। अगर आप षजाषजच ोगे तो वह बच्चा आपका होगा और ना मैा नर ोगे तो पति उस बच्चे पर माँ बाप होने का दावमेॕं थ ं चाहती हूँ की हमदोनों का यह मिलन ना सिर्फ मेरे औेरे औ बल्कि आपके और सुषमाजी के लिए भी एक ुअन ुद और वरदान का कारण बने और आप दोनों कींइ िर से वही बहार लौट आये।"

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